Interesting Murli points - to understand Knowledge in another perspective
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Re: Interesting Murli points - to understand Knowledge in another perspective
Dear brother 'destroy old world',
इसका जवाब आपको अंग्रेजी में दे रहा हूँ यहाँ,
viewtopic.php?f=37&p=54689#p54689
(पिछले पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए)
यह वह दृष्टान्त है, जो गरुड़ पुराण में "बिच्छू-टिंडन" दिखाते है| यह भी दिखाते शास्त्रों में कि वह "बिच्छू-टिंडन", शंकर के वीर्य से पैदा हुए| तो रावण राज्य का रचयिता कौन हुआ? बिच्छू-टिंडन जो एक-दूसरे को दुःख देते है, माँ-बाप को भी, और जो वीर्य की पैदाइश हैं द्वापर-कलियुग या रावण राज्य में, उसका रचयिता हुआ शंकर, जैसे शास्त्रों में दिखाया हुआ है|
प्रूफ मुरलियों में ही देख लो,
--
"सच्ची गीता खंड" से (पु.69, पहला पॉइंट),
http://www.PBKs.info/Website%20written% ... 1hindi.pdf
“बरोबर भारत स्वर्ग था| अभी नर्क है| एक-दो को डसते रहते हैं| शास्त्रों में दिखाया है ना- बिच्छू-टिंडन पैदा हुए| अभी सभी है शिव की औलाद; परन्तु इस समय उन्हों के वीर्य से बिच्छू-टिंडन पैदा होते हैं”| [मु.28.4.72 पु.2 मध्य]
--- तो कहाँ की बात हुई? संगमयुग की थोड़े ही है| यह भी बता दिया, “आत्माएं तो सब शिव की औलाद है, लेकिन शरीर वीर्य की पैदाइश है”| तो हद (कलियुग) की बात हुई ना| संगमयुग या बेहद की नहीं|
कुछ रिवाइज्ड मुरली भी देख लेते है,
1. https://bkmurli.com/brahma-kumaris-toda ... -may-2018/
“इसको कहा जाता है – रौरव नर्क। बिच्छू टिण्डन मिसल एक दो को काटते रहते हैं। बच्चे बाप का भी खून कर देते हैं। माया ने सबको डर्टी बना दिया है। भारत हेविन था, अब हेल है। 84 जन्म भी भारतवासियों के हैं”।
2. https://www.bkmurlis.net/2019/11/brahma ... -2019.html
“बाप कहते हैं पवित्र बनो तो कहते- नहीं, हम तो छी-छी बनेंगे। गरूड पुराण में भी विषय वैतरणी नदी दिखाते हैं ना। बिच्छू, टिण्डन, सर्प आदि सब एक-दो को काटते रहते हैं। बाप कहते हैं तुम कितने निधनके बन जाते हो”।
3. https://www.brahma-kumaris.com/single-p ... i-in-Hindi (ओरिजिनल मुरली, 12.3.68 प्रा. पु.3, आदि में)
“गरुड़ पुराण में भी रौरव नर्क कहते हैं, जहाँ बिच्छू टिण्डन सब काटते रहते हैं। शास्त्रों में क्या-क्या बैठ दिखाया है”।
4. https://www.brahmakumarismurli.com/2018 ... rahma.html
[इसमें सीधा बता दिया, "कलियुग की मानव रचना बिच्छू-टिण्डन है”]
“जैसे कलियुग की मानव रचना भी क्या बन गई है? मुरली में सुनते हो ना। बिच्छु-टिण्डन हो गये हैं। तो यह कमजोर समस्याओं की रचना भी बिच्छू टिण्डन के समान स्वयं को काटती है, शक्तिहीन बना देती है”।
यह पॉइंट और भी बहुत मुरलियों में आया है| लेकिन, समझदार को इशारा ही काफी है| जो बिलकुल ही बेसमझ है, उनके लिए देखो शिव का क्या कहना
है, (ऐसा लगता कि शिव ने यह मुरली चलाते वक़्त पीबीकेज को इमर्ज करके बोली होगी)
5.3.68 प्रा. पु.1, अंत में,
इसके अलावा, गरुड़ पुराण में तो धर्मराज की सजाओं की बातें लिखी हुई है खूब| इसके बारे में भी बहुत सी मुरलियों में बता दिया कि वह भी गर्भ जेल की बात है| बिच्छू-टिंडन बनके दुःख देते है तो फिर गर्भ जेल में आत्मा सजा भोगती है, हर जन्म में| इस तरह आत्मा अगले जन्म में और कमज़ोर बनके पैदा होती है| यह सिलसिला चलता ही रहता है द्वापर-कलयुग में| काफी इंटरेस्टिंग पॉइंट्स हैं मुरलियों में इसके बारे में| अभी हम वह सब नहीं देखेंगे| कहने का मतलब, वह दृष्टांत भी द्वापर-कलियुग के लिए ही है, जो गरुड़ पुराण में दिखाते है| ऐसे नहीं, वहां कोई धर्मराज होगा, गर्भ जेल में सजा भोगने की बात है| संगमयुगी धर्मराज की सजाओं के बारे में शास्त्रकार क्या जानें?
अगले पोस्ट में कुछ और बातें देखेंगे इसीको आगे बढ़ाते हुए|
इसका जवाब आपको अंग्रेजी में दे रहा हूँ यहाँ,
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(पिछले पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए)
यह वह दृष्टान्त है, जो गरुड़ पुराण में "बिच्छू-टिंडन" दिखाते है| यह भी दिखाते शास्त्रों में कि वह "बिच्छू-टिंडन", शंकर के वीर्य से पैदा हुए| तो रावण राज्य का रचयिता कौन हुआ? बिच्छू-टिंडन जो एक-दूसरे को दुःख देते है, माँ-बाप को भी, और जो वीर्य की पैदाइश हैं द्वापर-कलियुग या रावण राज्य में, उसका रचयिता हुआ शंकर, जैसे शास्त्रों में दिखाया हुआ है|
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“बरोबर भारत स्वर्ग था| अभी नर्क है| एक-दो को डसते रहते हैं| शास्त्रों में दिखाया है ना- बिच्छू-टिंडन पैदा हुए| अभी सभी है शिव की औलाद; परन्तु इस समय उन्हों के वीर्य से बिच्छू-टिंडन पैदा होते हैं”| [मु.28.4.72 पु.2 मध्य]
--- तो कहाँ की बात हुई? संगमयुग की थोड़े ही है| यह भी बता दिया, “आत्माएं तो सब शिव की औलाद है, लेकिन शरीर वीर्य की पैदाइश है”| तो हद (कलियुग) की बात हुई ना| संगमयुग या बेहद की नहीं|
कुछ रिवाइज्ड मुरली भी देख लेते है,
1. https://bkmurli.com/brahma-kumaris-toda ... -may-2018/
“इसको कहा जाता है – रौरव नर्क। बिच्छू टिण्डन मिसल एक दो को काटते रहते हैं। बच्चे बाप का भी खून कर देते हैं। माया ने सबको डर्टी बना दिया है। भारत हेविन था, अब हेल है। 84 जन्म भी भारतवासियों के हैं”।
2. https://www.bkmurlis.net/2019/11/brahma ... -2019.html
“बाप कहते हैं पवित्र बनो तो कहते- नहीं, हम तो छी-छी बनेंगे। गरूड पुराण में भी विषय वैतरणी नदी दिखाते हैं ना। बिच्छू, टिण्डन, सर्प आदि सब एक-दो को काटते रहते हैं। बाप कहते हैं तुम कितने निधनके बन जाते हो”।
3. https://www.brahma-kumaris.com/single-p ... i-in-Hindi (ओरिजिनल मुरली, 12.3.68 प्रा. पु.3, आदि में)
“गरुड़ पुराण में भी रौरव नर्क कहते हैं, जहाँ बिच्छू टिण्डन सब काटते रहते हैं। शास्त्रों में क्या-क्या बैठ दिखाया है”।
4. https://www.brahmakumarismurli.com/2018 ... rahma.html
[इसमें सीधा बता दिया, "कलियुग की मानव रचना बिच्छू-टिण्डन है”]
“जैसे कलियुग की मानव रचना भी क्या बन गई है? मुरली में सुनते हो ना। बिच्छु-टिण्डन हो गये हैं। तो यह कमजोर समस्याओं की रचना भी बिच्छू टिण्डन के समान स्वयं को काटती है, शक्तिहीन बना देती है”।
यह पॉइंट और भी बहुत मुरलियों में आया है| लेकिन, समझदार को इशारा ही काफी है| जो बिलकुल ही बेसमझ है, उनके लिए देखो शिव का क्या कहना
है, (ऐसा लगता कि शिव ने यह मुरली चलाते वक़्त पीबीकेज को इमर्ज करके बोली होगी)
5.3.68 प्रा. पु.1, अंत में,
इसके अलावा, गरुड़ पुराण में तो धर्मराज की सजाओं की बातें लिखी हुई है खूब| इसके बारे में भी बहुत सी मुरलियों में बता दिया कि वह भी गर्भ जेल की बात है| बिच्छू-टिंडन बनके दुःख देते है तो फिर गर्भ जेल में आत्मा सजा भोगती है, हर जन्म में| इस तरह आत्मा अगले जन्म में और कमज़ोर बनके पैदा होती है| यह सिलसिला चलता ही रहता है द्वापर-कलयुग में| काफी इंटरेस्टिंग पॉइंट्स हैं मुरलियों में इसके बारे में| अभी हम वह सब नहीं देखेंगे| कहने का मतलब, वह दृष्टांत भी द्वापर-कलियुग के लिए ही है, जो गरुड़ पुराण में दिखाते है| ऐसे नहीं, वहां कोई धर्मराज होगा, गर्भ जेल में सजा भोगने की बात है| संगमयुगी धर्मराज की सजाओं के बारे में शास्त्रकार क्या जानें?
अगले पोस्ट में कुछ और बातें देखेंगे इसीको आगे बढ़ाते हुए|
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Re: Interesting Murli points - to understand Knowledge in another perspective
(पिछले पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए)
पिछले पोस्ट में देखा कि रावण कौन है| वैसे, इससे भी पहले काफी बातें देखि थी शंकर पर| वह तपस्या में क्यों बैठा है? नाग क्यों दिखाते उसके ऊपर? वगैरा वगैरा| यहाँ देख लो दुबारा,
viewtopic.php?p=54487#p54487
फिर भी समझ में नहीं आया तो एक स्कैन मुरली देखते है|
यह पॉइंट दिखाते हुए ऐसा लग रहा कि हम किसीकी हत्या कर रहे है, इतना भरी जो है|
13.8.66 प्रा. पु.1, अंत में ((स्कैन मुरली),
“शंकर को ऐसे रखा है जैसे रावण को रखा है| रावण 5 विकारों को कहा जाता है| उनकी कोई...तो है नहीं| ना कोई प्रेरणा की बात है”| (आगे समझाया शंकर द्वारा नहीं होता विनाश)
यह काफी इंटरेस्टिंग मुरली है| यहाँ मिलेगा,
http://PBKs.info/Streaming/MP3/bma/orgl ... )-8-66.pdf
इसमें सीधा-सीधा बता दिया, "शंकर कोई काम नहीं करता, शिव को तो बहुत काम करना पड़ता है",
"शिव के साथ शंकर की कोई बात ही नहीं है",
"शंकर की पूजा कर क्या करेंगे| शिव की पूजा होती है| शिव परमात्मा नमः कहते है| ब्रह्मा भी तो प्रजापिता ठहरा ना",
"शंकर का इतना पार्ट नहीं है| सबसे बड़ा पार्ट है शिव का| ब्रह्मा का और विष्णु का",
“…बाकी शंकर नहीं आते है (पुनर्जन्म में)| ...विष्णु भी भारत में आते है| शिव पतित पावन को तो जरूर आना है"
वगैरा वगैरा|
लेकिन उस वक़्त शिव ने बताना भूल गया कि "शंकर कोई सेवा (काम) नहीं करता, लेकिन डिस्सर्विस करने में अव्वल नंबर में जाएगा"| अगर बताया होता तो भी क्या फरक पड़ता! हम तो मुरली अभी ही पढ़ रहे है ना, शंकर जी के आने के 50 साल बाद|
इसी मुरली में यह भी आया "आज से यानी 1966 से 10 वर्ष के अंदर हम अपने इस भारत को स्वर्ग बनाकर छोड़ेंगे"|
इसमें कोई शक नहीं है कि ब्रह्मकुमारियों ने इसको एडिट किया हुआ है| नहीं तो, 1961 में ही 10-12 साल बता दिया था|
शंकर जी पर वैसे इतने पॉइंट्स मिलेंगे एक-एक मुरली में कि लिखते बैठेंगे तो 20 दिन में भी ख़त्म नहीं होनेवाले हैं|
उसी तरह, जो लोग समझते कि संगमयुग में 5000 साल ड्रामा की शूटिंग होती है, पूरा रिकार्ड् यहाँ भरा जाता है वगैरा, उस पर भी काफी बातें बताया जा सकता है जिससे लोग उस गलत फेहमी से बाहर आ सकेंगे|
एडवांस ज्ञान के 2 सबसे बड़े गपोड़े जिनकी वजह से दुनिया में सबसे ज्यादा डिससर्विस हुई है और हो रही है, वह है- "शूटिंग की बात" और "बेहद में टैली करना"|
अव्यक्त वाणी में भी इस गलत फेहमी को बढ़नेवाली बातें ही आती रहती हैं|
इसके बारें में काफी कुछ पहले भी बताया जा चुका है| जैसे यह कुछ पोस्ट है,
1."शूटिंग" और "बेहद" के बारे में|
viewtopic.php?p=54607#p54607
2.इस टॉपिक में शुरू के 7 पोस्ट पढ़ काफी इंटरेस्टिंग है,
viewtopic.php?f=37&t=2723
इस टॉपिक में,
a. 13.10.68 में समझ में आएगा कि गीता में कृष्ण का नाम कैसे डाला द्वापर में?
b. शास्त्र लिखने वाले कौन थे? किस आधार पर शास्त्र लिखा? व्यास कौन? उसको मायावी बुद्धि क्यों बताया? यह सब देखने को मिलेगा|
c. फिर, जो बाबा दीक्षित बताते कि गीता पहले 'निराकार वादी' थी, बाद में कृष्ण का नाम डाल दिया| इस बात में कितनी सच्चाई है?
d. 9.8.64 A.M की मुरली| उसमें भी ख़ास दूसरा पॉइंट जिसमें बताया कि "संगमयुग की बातें 3000 हज़ार साल बाद शास्त्र लिखने वालों को कुछ याद नहीं रहेगा"|
e. सोमनाथ मंदिर कैसे बना? किसने बनाया था? किस तरह लूटा गया? इन सब बातों का जवाब मिलेगा|
f. इसी टॉपिक में थोड़ा नीचे जाओ तो दिलवाड़ा मंदिर के यादगार पर काफी पॉइंट्स मिलेंगे|
3. इसमें, राम को जो बाण दिखाते है शास्त्रों में, वह यादगार कैसे बना? इसका क्या मतलब है? यह सब समझ में आएगा|
viewtopic.php?p=54411#p54411
4.यह दोनों तो पढ़ ही लिया होगा, जिसमें "शंकर" पर जो दृष्टान्त है शास्त्रों में उस पर, साथ में "शूटिंग", "डायरेक्टर" वगैरा पर चर्चा हुई है|
viewtopic.php?p=54682#p54682
viewtopic.php?p=54688#p54688
5.इसमें, फिर से "शूटिंग" को लेके कुछ बातें लिखी गई|
viewtopic.php?p=54693#p54693
[अगला पोस्ट काफी इंटरेस्टिंग होने वाला है|]
पिछले पोस्ट में देखा कि रावण कौन है| वैसे, इससे भी पहले काफी बातें देखि थी शंकर पर| वह तपस्या में क्यों बैठा है? नाग क्यों दिखाते उसके ऊपर? वगैरा वगैरा| यहाँ देख लो दुबारा,
viewtopic.php?p=54487#p54487
फिर भी समझ में नहीं आया तो एक स्कैन मुरली देखते है|
यह पॉइंट दिखाते हुए ऐसा लग रहा कि हम किसीकी हत्या कर रहे है, इतना भरी जो है|
13.8.66 प्रा. पु.1, अंत में ((स्कैन मुरली),
“शंकर को ऐसे रखा है जैसे रावण को रखा है| रावण 5 विकारों को कहा जाता है| उनकी कोई...तो है नहीं| ना कोई प्रेरणा की बात है”| (आगे समझाया शंकर द्वारा नहीं होता विनाश)
यह काफी इंटरेस्टिंग मुरली है| यहाँ मिलेगा,
http://PBKs.info/Streaming/MP3/bma/orgl ... )-8-66.pdf
इसमें सीधा-सीधा बता दिया, "शंकर कोई काम नहीं करता, शिव को तो बहुत काम करना पड़ता है",
"शिव के साथ शंकर की कोई बात ही नहीं है",
"शंकर की पूजा कर क्या करेंगे| शिव की पूजा होती है| शिव परमात्मा नमः कहते है| ब्रह्मा भी तो प्रजापिता ठहरा ना",
"शंकर का इतना पार्ट नहीं है| सबसे बड़ा पार्ट है शिव का| ब्रह्मा का और विष्णु का",
“…बाकी शंकर नहीं आते है (पुनर्जन्म में)| ...विष्णु भी भारत में आते है| शिव पतित पावन को तो जरूर आना है"
वगैरा वगैरा|
लेकिन उस वक़्त शिव ने बताना भूल गया कि "शंकर कोई सेवा (काम) नहीं करता, लेकिन डिस्सर्विस करने में अव्वल नंबर में जाएगा"| अगर बताया होता तो भी क्या फरक पड़ता! हम तो मुरली अभी ही पढ़ रहे है ना, शंकर जी के आने के 50 साल बाद|
इसी मुरली में यह भी आया "आज से यानी 1966 से 10 वर्ष के अंदर हम अपने इस भारत को स्वर्ग बनाकर छोड़ेंगे"|
इसमें कोई शक नहीं है कि ब्रह्मकुमारियों ने इसको एडिट किया हुआ है| नहीं तो, 1961 में ही 10-12 साल बता दिया था|
शंकर जी पर वैसे इतने पॉइंट्स मिलेंगे एक-एक मुरली में कि लिखते बैठेंगे तो 20 दिन में भी ख़त्म नहीं होनेवाले हैं|
उसी तरह, जो लोग समझते कि संगमयुग में 5000 साल ड्रामा की शूटिंग होती है, पूरा रिकार्ड् यहाँ भरा जाता है वगैरा, उस पर भी काफी बातें बताया जा सकता है जिससे लोग उस गलत फेहमी से बाहर आ सकेंगे|
एडवांस ज्ञान के 2 सबसे बड़े गपोड़े जिनकी वजह से दुनिया में सबसे ज्यादा डिससर्विस हुई है और हो रही है, वह है- "शूटिंग की बात" और "बेहद में टैली करना"|
अव्यक्त वाणी में भी इस गलत फेहमी को बढ़नेवाली बातें ही आती रहती हैं|
इसके बारें में काफी कुछ पहले भी बताया जा चुका है| जैसे यह कुछ पोस्ट है,
1."शूटिंग" और "बेहद" के बारे में|
viewtopic.php?p=54607#p54607
2.इस टॉपिक में शुरू के 7 पोस्ट पढ़ काफी इंटरेस्टिंग है,
viewtopic.php?f=37&t=2723
इस टॉपिक में,
a. 13.10.68 में समझ में आएगा कि गीता में कृष्ण का नाम कैसे डाला द्वापर में?
b. शास्त्र लिखने वाले कौन थे? किस आधार पर शास्त्र लिखा? व्यास कौन? उसको मायावी बुद्धि क्यों बताया? यह सब देखने को मिलेगा|
c. फिर, जो बाबा दीक्षित बताते कि गीता पहले 'निराकार वादी' थी, बाद में कृष्ण का नाम डाल दिया| इस बात में कितनी सच्चाई है?
d. 9.8.64 A.M की मुरली| उसमें भी ख़ास दूसरा पॉइंट जिसमें बताया कि "संगमयुग की बातें 3000 हज़ार साल बाद शास्त्र लिखने वालों को कुछ याद नहीं रहेगा"|
e. सोमनाथ मंदिर कैसे बना? किसने बनाया था? किस तरह लूटा गया? इन सब बातों का जवाब मिलेगा|
f. इसी टॉपिक में थोड़ा नीचे जाओ तो दिलवाड़ा मंदिर के यादगार पर काफी पॉइंट्स मिलेंगे|
3. इसमें, राम को जो बाण दिखाते है शास्त्रों में, वह यादगार कैसे बना? इसका क्या मतलब है? यह सब समझ में आएगा|
viewtopic.php?p=54411#p54411
4.यह दोनों तो पढ़ ही लिया होगा, जिसमें "शंकर" पर जो दृष्टान्त है शास्त्रों में उस पर, साथ में "शूटिंग", "डायरेक्टर" वगैरा पर चर्चा हुई है|
viewtopic.php?p=54682#p54682
viewtopic.php?p=54688#p54688
5.इसमें, फिर से "शूटिंग" को लेके कुछ बातें लिखी गई|
viewtopic.php?p=54693#p54693
[अगला पोस्ट काफी इंटरेस्टिंग होने वाला है|]
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Re: Interesting Murli points - to understand Knowledge in another perspective
(पिछले पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए)
शिवबाबा की मुरली एकदम सिंपल होती है| शुद्ध हिंदी और अति साधारण भाषा में लिखी गई हैं| लेकिन एक शर्त है, हिंदी आना चाइए बस और कोई भी बेहद का मतलब नहीं निकालना है| कोई भी लौकिक वाला पढ़ेगा ना, आसानी से समझ जाएगा| लेकिन, हम लोग संगमयुग में आके हिंदी ही भूल बैठे हैं| हमें, सिंपल चीजें पसंद नहीं है, हर बात में विशेष मनोरंजक बातें ढूंढते हैं ना| यह है माया का पावर! माया कैसे काम करती है, कैसे हराती है? यह भी बहुत दिलचस्प बात है समझने के लिए, जिस पर फिर कभी हो सकें तो देखेंगे|
हम खुद 10 साल एडवांस ज्ञान में रहकर खूब डिससर्विस करके आये हुए है| वहां का अनुभव भी सुनाने का लायक है|
एक लाइन में "बेहद" के बारे में बताऊँ तो, जब मुरली में "बेहद" शब्द आता है, तो स्वयं उस शब्द का मतलब भी सीधा-सीधा है| बाबा की भाषा में "बेहद" मतलब "बड़ा", बस| उदाहरण:
1. "बेहद की रात और बेहद का दिन" - संगमयुग की बात नहीं है, बेहद माना 2500-2500 साल का| हद में 12-12 घंटे के रात और दिन होते हैं|
2."बेहद का नाटक" - जिसमें करोड़ों एक्टर हैं, हद में ज्यादा से ज्यादा 100-200 होंगे|
3. “बाबा की नज़र में सतयुग हद की दुनिया है, कलियुग बेहद की" - आबादी वगैरा के आधार पर| यह भी ब्रॉड ड्रामा की बात है, संगमयुग की नहीं|
इसके अलावा, जब-जब बाबा "सतयुग", "नारायण", "कृष्ण", "राम", "वैकुण्ठ", "विश्व के मालिक" वगैरा की बातें करें, तो वह सतयुग-त्रेता की ही बात कर रहे होते| राम-कृष्ण-नारायण, शरीर के आधार पर ही बता कर रहे होते| हाँ, कभी-कभी कृष्ण की, राम की आत्मा पर बात करते है, लेकिन उसको भी बाद में क्लैरिफॉय किया कि 'ऐसे मत समझना, राम फेल का मतलब कोई त्रेता में पढता होगा, नहीं, वह तो यहाँ पढ़ा फिर फेल होने से त्रेता में राम बनता है'| बाबा इतना एक्यूरेट और सिंपल बातें करते हैं|
पीबीकेज के इस "सच्ची गीता खंड 1" में जाओ,
http://www.PBKs.info/Website%20written% ... 1hindi.pdf
इसमें बाबा दीक्षित जी ने कुछ टॉपिक बनवाएं हैं, जिससे यह सिद्ध करना चाहते है कि "संगमयुग" में "शूटिंग" होती है|
सृष्टि चक्र - शूटिंग, रिकॉर्डिंग वा रिहर्सल [पु.92 से]
संगम की आयु [पु.93 से]
सतयुगी शूटिंग सन 1976 तक [पु.95 से]
सन 1977 से ब्राह्मणों की दुनिया में सूक्ष्म स्थापना-विनाश [पु.95 से]
ब्रह्मा का दिन और रात संगमयुग में ही होता है [पु.96 से]
चार युगों की शूटिंग में चार बार अवतार [पु.98 से]
(एक कल्प) चरों युगों की शूटिंग में हूबहू पुनरावृत्ति [पु.98 से]
सृष्टि-चक्र के फुटकर पॉइंट्स [पु.100 से]
आप खुद थोड़ा शांति से बैठ के यह सारे पॉइंट्स पढ़ लेना, कोई एक भी साकार मुरली पॉइंट से "शूटिंग" की बात सिद्ध ही नहीं होती| सब गलत अर्थ लगाया हुआ है| हाँ, अव्यक्त वाणी में बाबा दीक्षित को जैसे चाइये था वैसे पॉइंट्स आये हैं, इससे यह भी समझ में आएगा कि अव्यक्त वाणी में अज्ञान भरा है|
"शूटिंग" को लेके बाबा दीक्षित का जो इतना बड़ा अज्ञान है, वह तो सब पीबीकेज अच्छे से जानते ही हैं| मैं पूरा नहीं बताऊंगा, कुछ ख़ास बातें बताता हूँ,
1. शूटिंग पीरियड का जो हिसाब निकाला है, कि 16 साल सतयुगी शूटिंग, 12 साल त्रेता की, 8 साल द्वापर की और 4 साल कलियुग की, यह कैसे निकाला? दीक्षित बाबा ने, गीता या शास्त्रों से निकाला है यह रेश्यो| शास्त्रों में बताया ना, कलियुग से 4 गुना आयु सतयुग की, 3 गुना आयु त्रेता की, 2 गुना आयु द्वापर की| बस, बता दिया कि देखो, शास्त्रों में बेहद की बात लिखी है|
2. फिर दीक्षित बाबा का मानना है कि हर युग की शूटिंग में भी चारों युगों की शूटिंग होती है| मतलब, जैसे 4 कल्प होगये संगमयुग में ही| इसके आधार पर, दीक्षित बाबा, "सम्भवामि युगे-युगे" और "कल्प-कल्प कल्प के संगम में आता हूँ" का बेहद में अर्थ भी लगा दिया| हर-एक युग की शूटिंग के बाद, एक साल का रुंग वर्ष होता है|
3. इतना ही नहीं, संगमयुग में 4 युगों की शूटिंग, फिर उस हर-एक युग के शूटिंग में 4-4 युग की शूटिंग तो होती है, लेकिन, संगमयुग में संगमयुग की भी शूटिंग होती है (1960 तक)|
4. और सुनो, जैसे ही कोई ज्ञान में आता है एडवांस में, तो उसकी व्यक्तिगत शूटिंग शुरू हो जाती है 84 जन्मों की, सतयुग से लेके कलियुग तक| फिर बताते कि उलटी सीढ़ी चढ़ते है| मैं तो जब एडवांस में था, हर वक़्त यही सोचता रहता था कि 'इस वक़्त क्या शूटिंग कर रहा हूँ'| बताया गया था कि हर सेकंड शूटिंग चलती रहती है, संकल्पों द्वारा| मैं ने आखिर माथा खराब कर-कर के, अपने कईं जन्मों के बारे में पता लगा लिया था, कौनसा मणका बनूँगा, विजयमाला में मेरी युगल दाना कौन है वगैरा सब| जैसे दीक्षित बाबा अपने लिए बताते है, उनसे भी आगे थे|
5. फिर दीक्षित बताते कि व्यक्तिगत शूटिंग के साथ, ग्रुप शूटिंग भी चलती रहती है| साथ में, ब्राह्मणों की दुनिया के vibration के आधार पर, बाहर की दुनिया चलती है और भक्तिमार्ग में भी शूटिंग होती है| फिर, बाहर की दुनिया की भक्ति -मार्ग की शूटिंग ज्ञान-मार्ग की शूटिंग से आगे-आगे होने लगती है वगैरा वगैरा|
6. फिर बेहद में जन्म-मरण, अनिश्चय-निश्चय रुपी|
7. चलो वह सब मान लेते| लेकिन, शूटिंग के आधार पर जो विनाश के डेट fix किया था, वह सब झूठें साबित हुए| पहले शायद 1999, 2002 या 2004 इस तरह कुछ था, लिटरेचर में भी छपवाया था, जो बाद में बदल दिए गए|
पहले ऐसा भी मानते थे कि 18 साल तपस्या करेंगे या बर्फ में दबेंगे| बाद में, 2018 बोला, फिर 18 जनवरी 2019, फिर 5 दिसंबर 2019| सब गया, हुआ कुछ नहीं| अभी फिर 2028| एक बार 2076 भी बोल चुके है दीक्षित बाबा|
8. इसी तरह, छोटी मां, बड़ी माँ का वापस आने के बारे में| 2008, 2012, 2016, 2018, सब बोलते रहे बस, आये नहीं अभी तक| वह दोनों तो दीक्षित बाबा का चेहरा तक भूल चुके होंगे|लेकिन, यह इंतज़ार कर रहे हैं आज भी|
यह सृष्टि-चक्र का एडवांस कोर्स|
http://www.PBKs.info/Website%20written% ... ihindi.pdf
अब बस!
हो सकें तो आगे कुछ और बातें देखेंगे|
शिवबाबा की मुरली एकदम सिंपल होती है| शुद्ध हिंदी और अति साधारण भाषा में लिखी गई हैं| लेकिन एक शर्त है, हिंदी आना चाइए बस और कोई भी बेहद का मतलब नहीं निकालना है| कोई भी लौकिक वाला पढ़ेगा ना, आसानी से समझ जाएगा| लेकिन, हम लोग संगमयुग में आके हिंदी ही भूल बैठे हैं| हमें, सिंपल चीजें पसंद नहीं है, हर बात में विशेष मनोरंजक बातें ढूंढते हैं ना| यह है माया का पावर! माया कैसे काम करती है, कैसे हराती है? यह भी बहुत दिलचस्प बात है समझने के लिए, जिस पर फिर कभी हो सकें तो देखेंगे|
हम खुद 10 साल एडवांस ज्ञान में रहकर खूब डिससर्विस करके आये हुए है| वहां का अनुभव भी सुनाने का लायक है|
एक लाइन में "बेहद" के बारे में बताऊँ तो, जब मुरली में "बेहद" शब्द आता है, तो स्वयं उस शब्द का मतलब भी सीधा-सीधा है| बाबा की भाषा में "बेहद" मतलब "बड़ा", बस| उदाहरण:
1. "बेहद की रात और बेहद का दिन" - संगमयुग की बात नहीं है, बेहद माना 2500-2500 साल का| हद में 12-12 घंटे के रात और दिन होते हैं|
2."बेहद का नाटक" - जिसमें करोड़ों एक्टर हैं, हद में ज्यादा से ज्यादा 100-200 होंगे|
3. “बाबा की नज़र में सतयुग हद की दुनिया है, कलियुग बेहद की" - आबादी वगैरा के आधार पर| यह भी ब्रॉड ड्रामा की बात है, संगमयुग की नहीं|
इसके अलावा, जब-जब बाबा "सतयुग", "नारायण", "कृष्ण", "राम", "वैकुण्ठ", "विश्व के मालिक" वगैरा की बातें करें, तो वह सतयुग-त्रेता की ही बात कर रहे होते| राम-कृष्ण-नारायण, शरीर के आधार पर ही बता कर रहे होते| हाँ, कभी-कभी कृष्ण की, राम की आत्मा पर बात करते है, लेकिन उसको भी बाद में क्लैरिफॉय किया कि 'ऐसे मत समझना, राम फेल का मतलब कोई त्रेता में पढता होगा, नहीं, वह तो यहाँ पढ़ा फिर फेल होने से त्रेता में राम बनता है'| बाबा इतना एक्यूरेट और सिंपल बातें करते हैं|
पीबीकेज के इस "सच्ची गीता खंड 1" में जाओ,
http://www.PBKs.info/Website%20written% ... 1hindi.pdf
इसमें बाबा दीक्षित जी ने कुछ टॉपिक बनवाएं हैं, जिससे यह सिद्ध करना चाहते है कि "संगमयुग" में "शूटिंग" होती है|
सृष्टि चक्र - शूटिंग, रिकॉर्डिंग वा रिहर्सल [पु.92 से]
संगम की आयु [पु.93 से]
सतयुगी शूटिंग सन 1976 तक [पु.95 से]
सन 1977 से ब्राह्मणों की दुनिया में सूक्ष्म स्थापना-विनाश [पु.95 से]
ब्रह्मा का दिन और रात संगमयुग में ही होता है [पु.96 से]
चार युगों की शूटिंग में चार बार अवतार [पु.98 से]
(एक कल्प) चरों युगों की शूटिंग में हूबहू पुनरावृत्ति [पु.98 से]
सृष्टि-चक्र के फुटकर पॉइंट्स [पु.100 से]
आप खुद थोड़ा शांति से बैठ के यह सारे पॉइंट्स पढ़ लेना, कोई एक भी साकार मुरली पॉइंट से "शूटिंग" की बात सिद्ध ही नहीं होती| सब गलत अर्थ लगाया हुआ है| हाँ, अव्यक्त वाणी में बाबा दीक्षित को जैसे चाइये था वैसे पॉइंट्स आये हैं, इससे यह भी समझ में आएगा कि अव्यक्त वाणी में अज्ञान भरा है|
"शूटिंग" को लेके बाबा दीक्षित का जो इतना बड़ा अज्ञान है, वह तो सब पीबीकेज अच्छे से जानते ही हैं| मैं पूरा नहीं बताऊंगा, कुछ ख़ास बातें बताता हूँ,
1. शूटिंग पीरियड का जो हिसाब निकाला है, कि 16 साल सतयुगी शूटिंग, 12 साल त्रेता की, 8 साल द्वापर की और 4 साल कलियुग की, यह कैसे निकाला? दीक्षित बाबा ने, गीता या शास्त्रों से निकाला है यह रेश्यो| शास्त्रों में बताया ना, कलियुग से 4 गुना आयु सतयुग की, 3 गुना आयु त्रेता की, 2 गुना आयु द्वापर की| बस, बता दिया कि देखो, शास्त्रों में बेहद की बात लिखी है|
2. फिर दीक्षित बाबा का मानना है कि हर युग की शूटिंग में भी चारों युगों की शूटिंग होती है| मतलब, जैसे 4 कल्प होगये संगमयुग में ही| इसके आधार पर, दीक्षित बाबा, "सम्भवामि युगे-युगे" और "कल्प-कल्प कल्प के संगम में आता हूँ" का बेहद में अर्थ भी लगा दिया| हर-एक युग की शूटिंग के बाद, एक साल का रुंग वर्ष होता है|
3. इतना ही नहीं, संगमयुग में 4 युगों की शूटिंग, फिर उस हर-एक युग के शूटिंग में 4-4 युग की शूटिंग तो होती है, लेकिन, संगमयुग में संगमयुग की भी शूटिंग होती है (1960 तक)|
4. और सुनो, जैसे ही कोई ज्ञान में आता है एडवांस में, तो उसकी व्यक्तिगत शूटिंग शुरू हो जाती है 84 जन्मों की, सतयुग से लेके कलियुग तक| फिर बताते कि उलटी सीढ़ी चढ़ते है| मैं तो जब एडवांस में था, हर वक़्त यही सोचता रहता था कि 'इस वक़्त क्या शूटिंग कर रहा हूँ'| बताया गया था कि हर सेकंड शूटिंग चलती रहती है, संकल्पों द्वारा| मैं ने आखिर माथा खराब कर-कर के, अपने कईं जन्मों के बारे में पता लगा लिया था, कौनसा मणका बनूँगा, विजयमाला में मेरी युगल दाना कौन है वगैरा सब| जैसे दीक्षित बाबा अपने लिए बताते है, उनसे भी आगे थे|
5. फिर दीक्षित बताते कि व्यक्तिगत शूटिंग के साथ, ग्रुप शूटिंग भी चलती रहती है| साथ में, ब्राह्मणों की दुनिया के vibration के आधार पर, बाहर की दुनिया चलती है और भक्तिमार्ग में भी शूटिंग होती है| फिर, बाहर की दुनिया की भक्ति -मार्ग की शूटिंग ज्ञान-मार्ग की शूटिंग से आगे-आगे होने लगती है वगैरा वगैरा|
6. फिर बेहद में जन्म-मरण, अनिश्चय-निश्चय रुपी|
7. चलो वह सब मान लेते| लेकिन, शूटिंग के आधार पर जो विनाश के डेट fix किया था, वह सब झूठें साबित हुए| पहले शायद 1999, 2002 या 2004 इस तरह कुछ था, लिटरेचर में भी छपवाया था, जो बाद में बदल दिए गए|
पहले ऐसा भी मानते थे कि 18 साल तपस्या करेंगे या बर्फ में दबेंगे| बाद में, 2018 बोला, फिर 18 जनवरी 2019, फिर 5 दिसंबर 2019| सब गया, हुआ कुछ नहीं| अभी फिर 2028| एक बार 2076 भी बोल चुके है दीक्षित बाबा|
8. इसी तरह, छोटी मां, बड़ी माँ का वापस आने के बारे में| 2008, 2012, 2016, 2018, सब बोलते रहे बस, आये नहीं अभी तक| वह दोनों तो दीक्षित बाबा का चेहरा तक भूल चुके होंगे|लेकिन, यह इंतज़ार कर रहे हैं आज भी|
यह सृष्टि-चक्र का एडवांस कोर्स|
http://www.PBKs.info/Website%20written% ... ihindi.pdf
अब बस!
हो सकें तो आगे कुछ और बातें देखेंगे|
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"शूटिंग" की बातें काफी पड़ी हुई हैं, खास कर अव्यक्त वाणी पॉइंट्स| फिर, द्वापर-कलियुग में आत्मा एक जन्म से दूसरे जन्म में संस्कार कैसे ले जाती है और जब संगमयुग से सतयुग में जाती तो संस्कार कैसे ले जाती है?
1-2 पॉइंट्स संस्कार पर,
1.इसमें, यह बताया कि द्वापर-कलियुग में एक जन्म के संस्कार दूसरे जन्म में जाते है| जैसे, लड़ाई का, पढाई का| तो, संगमयुग में भी, अगर पुनर्जन्म लिया तो ज्ञान के संस्कार ले जाएंगे| लेकिन जब आत्मा परमधाम जायेगी तो संस्कार ख़त्म हो जाएंगे| नई दुनिया में रजाई के, प्रालब्ध के संस्कार ले जाएंगे|
इसका मतलब यह हुआ कि न ही संगमयुग में शूटिंग होती है, न ही 84 जन्मों के संस्कार यहाँ भरना होता है| हाँ, पवित्रता,शांति, सुख के संस्कार भरेंगे, यह तो मुरली में भी बताया हुआ है|
--
20.6.64 पु.2 मध्यान्त ,
2. स्वर्ग में और नरक में जो वर्सा मिलता है जन्म-जन्मांतर, उसमें भी फरक है|
https://bkarticles.blog/2018/07/20/bk-m ... -ki-Murli/
[यह रिवाइज्ड मुरली है, लेकिन यहीं पॉइंट हमने ओरिजिनल मुरली में भी पढ़ा था जो अभी मिल नहीं रहा है| लेकिन, चिंता की बात नहीं है|]
“ऊंचे ते ऊंच महिमा है बाप की, जिससे तुम 21 जन्मों का वर्सा पाते हो। फिर द्वापर से लेकर तुम लौकिक बाप का बच्चा बन जैसे-जैसे कर्म करते हो ऐसा जन्म लेते हो। धन दान करने से एक जन्म अल्पकाल सुख का वर्सा मिल जाता है। राजायें भी तो रोगी बनते हैं ना। स्वर्ग में तुम रोगी नहीं बनते हो। तुम्हारी एवरेज 150 वर्ष आयु रहती है”|
3. एक और मुरली संस्कार पर,
(संस्कार- इस शब्द को सर्च करो इसके अंदर, दूसरे पैराग्राफ में मिलेगा)
https://bkmurli.com/brahma-kumaris-toda ... mber-2019/
4. अभी इसमें जो बताया संस्कार की बात, वह संस्कार संगम में नहीं भरे जाते| वह तो द्वापर में जाके बनते है या कहो, आत्मा में अनादि पार्ट भरा हुआ है|
-- बाबा दीक्षित ने शूटिंग का आधार बनाकर, इस पॉइंट को 'कुमारीका दादी' पर लागू किया| सच्ची गीता खंड में, "कामी इस्लामी" नाम का टॉपिक बनाके, उसमें यह पॉइंट डाला है|
1-2 पॉइंट्स संस्कार पर,
1.इसमें, यह बताया कि द्वापर-कलियुग में एक जन्म के संस्कार दूसरे जन्म में जाते है| जैसे, लड़ाई का, पढाई का| तो, संगमयुग में भी, अगर पुनर्जन्म लिया तो ज्ञान के संस्कार ले जाएंगे| लेकिन जब आत्मा परमधाम जायेगी तो संस्कार ख़त्म हो जाएंगे| नई दुनिया में रजाई के, प्रालब्ध के संस्कार ले जाएंगे|
इसका मतलब यह हुआ कि न ही संगमयुग में शूटिंग होती है, न ही 84 जन्मों के संस्कार यहाँ भरना होता है| हाँ, पवित्रता,शांति, सुख के संस्कार भरेंगे, यह तो मुरली में भी बताया हुआ है|
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20.6.64 पु.2 मध्यान्त ,
2. स्वर्ग में और नरक में जो वर्सा मिलता है जन्म-जन्मांतर, उसमें भी फरक है|
https://bkarticles.blog/2018/07/20/bk-m ... -ki-Murli/
[यह रिवाइज्ड मुरली है, लेकिन यहीं पॉइंट हमने ओरिजिनल मुरली में भी पढ़ा था जो अभी मिल नहीं रहा है| लेकिन, चिंता की बात नहीं है|]
“ऊंचे ते ऊंच महिमा है बाप की, जिससे तुम 21 जन्मों का वर्सा पाते हो। फिर द्वापर से लेकर तुम लौकिक बाप का बच्चा बन जैसे-जैसे कर्म करते हो ऐसा जन्म लेते हो। धन दान करने से एक जन्म अल्पकाल सुख का वर्सा मिल जाता है। राजायें भी तो रोगी बनते हैं ना। स्वर्ग में तुम रोगी नहीं बनते हो। तुम्हारी एवरेज 150 वर्ष आयु रहती है”|
3. एक और मुरली संस्कार पर,
(संस्कार- इस शब्द को सर्च करो इसके अंदर, दूसरे पैराग्राफ में मिलेगा)
https://bkmurli.com/brahma-kumaris-toda ... mber-2019/
4. अभी इसमें जो बताया संस्कार की बात, वह संस्कार संगम में नहीं भरे जाते| वह तो द्वापर में जाके बनते है या कहो, आत्मा में अनादि पार्ट भरा हुआ है|
-- बाबा दीक्षित ने शूटिंग का आधार बनाकर, इस पॉइंट को 'कुमारीका दादी' पर लागू किया| सच्ची गीता खंड में, "कामी इस्लामी" नाम का टॉपिक बनाके, उसमें यह पॉइंट डाला है|
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++++++++++++++
इंटरेस्टिंग पॉइंट्स
++++++++++++++
1. 20.9.67 प्रा. पु.1 में आत्मा के ऊपर काफी अच्छी बातें आई हैं, पूरा पेज में| इंटरेस्टिंग पॉइंट्स
++++++++++++++
http://PBKs.info/Streaming/MP3/bma/scan/414.pdf
उसमें से एक पॉइंट,
2. 29.11.68 प्रा. पु.2 अंत में [स्कैन],
http://PBKs.info/Streaming/MP3/bma/orgl ... -11-68.pdf
“कराची में आयु देखने वाले आते थे| सभी कहते थे इनकी आयु 75 वर्ष है”| शायद, एक और स्कैन मुरली में भी यह बात आई है|
3.
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+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
क्या, सूक्ष्मवतन होता है? कर्मातीत अवस्था कब होगी? 1969 में कोई कर्मातीत बन गया?
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
जैसे पहले बताया था, मुरली में हमेशा बताया कि कर्मातीत अवस्था हो जाय तो शरीर छोड़ना पड़ेगा| सिर्फ इतना ही नहीं, कईं मुरलियों में यह भी बताया कि कर्मातीत अवस्था हो जाय तो आत्मा भी यहाँ नहीं रह सकती [क्राइस्ट वगैरा की बात अलग है]| जैसे इस मुरली में एकदम साफ़-साफ़ बताया हुआ है,क्या, सूक्ष्मवतन होता है? कर्मातीत अवस्था कब होगी? 1969 में कोई कर्मातीत बन गया?
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
1. 20.7.67, रात्रि.पु.1 आदि में,
..
इसका मतलब, कर्मातीत अवस्था अंत में ही होगी|
मम्मा का पुनर्जन्म, कर्मातीत अवस्था, सूक्ष्मवतन, सूक्ष्मवतन-वासी फ़रिश्ते आदि के बारे में पहले ही काफी कुछ लिखा था| यहाँ जाके देख सकते हो,
viewtopic.php?f=37&t=2720
इसमें 2 मुरली रेफेरेंस दिया था, जिसको अभी फिर से देखेंगे|
2. 19.3.68, प्रा. पु.4 आदि में,
..
इसमें भी साफ़ बता दिया कि कर्मातीत या फ़रिश्ते जब बनेंगे तो लड़ाई लगेगी, विनाश शुरू हो जाएगा|
इसमें, एक और ध्यान देने की बात है| जब-जब मुरली में फ़रिश्ते बनने की बात आती है, तो हमेशा "मिरवा मौत मालुका शिकार", यह भी बताया जाता है| इससे, यह फिर सिद्ध हो जाता कि फ़रिश्ते बनेंगे तो विनाश हो जाएगा तुरंत|
1969 तो छोडो, अभी तक, 50 साल होगये, कोई विनाश या लड़ाई शुरू नहीं हुई है|
फिर बीके लोग झूठ क्यों कहते कि उनका नकली ब्रह्मा सम्पूर्ण बन गया, फरिश्ता बन गया 1969 में ही? “झूठ ही झूठ, सच की रत्ती भी नहीं”|
इसी मुरली में, एक-दो लाइन पीछे जायेंगे तो वहां साफ़ लिखा है कि कृष्ण के कोई गोप-गोपियाँ नहीं होती स्वर्ग में, उसकी दास-दासियाँ होती है और गोप-गोपियाँ तो हम बच्चे हैं संगमयुग में गोपी-वल्लभ शिवबाबा के|
19.3.68, प्रा. पु.4 आदि में,
..
यह पॉइंट बहुत मुरलियों में आया है, साथ में यह भी बताया कि कृष्ण की वास्तव में ग्लानि कर दी शास्त्रों में, उसको गोप-गोपियाँ दिखाके, वास्तव में, यह तो 16108 प्रजापिता के बच्चे-बच्चियां हैं| फिर आज की अव्यक्त वाणी में, नकली ब्रह्मा ने यह क्यों बोला कि कृष्ण का गायन-पूजन होता है गोप-गोपियाँ के साथ? यह तो फिर से बाबा दीक्षित को फॉलो कर रहे है| “झूठ ही झूठ, सच की रत्ती भी नहीं”|
यहाँ पढ़ो [तीसरा पैराग्राफ में],
https://madhubanmurli.org/#hi+2019-12-22+daily
“एक ही यह महान आत्मा है जिसकी ... और तीसरा गोप गोपियों के रूप में भी गायन पूजन है”।
अगले पोस्ट में आगे बढ़ाएंगे...
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+++++++++++++
"सत्यमेव जयते"
+++++++++++++
पिछले पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए,"सत्यमेव जयते"
+++++++++++++
3. सबसे इम्पोर्टेन्ट पॉइंट!! इतना बड़ा राज़!! 31.3.68, प्रा. पु.2 आदि में,
...
इसमें तो एकदम साफ़ कर दिया कि “त्रिमूर्ति”, “विष्णु” आदि के चित्र और सूक्ष्मवतन भी सिर्फ साक्षात्कार की चीजें हैं| यह सिर्फ समझाया जाता है| वास्तव में, यह सब होता नहीं है| यह भी बता दिया कि फ़रिश्ते बनेंगे तो सूक्ष्मवतन में रेस्ट लेने की दरकार ही नहीं, सीधे चले जाएंगे घर|
फिर भी बीके लोग इतना झूठ क्यों बोलते हैं? बीके छोडो, उनका बापदादा ने भी यह क्या अज्ञान सुना दिया,
2.2.69 की अव्यक्त वाणी में,
...
यहाँ जाके पूरा पढ़ो, यह भी बताते कि पहले ऐसे क्यों बोला मुरलियों में कि सूक्ष्मवतन है ही नहीं|
[तीसरा पैराग्राफ में]
http://www.bkdrluhar.com/00-Avyakt%20Mu ... 2.1969.htm
“झूठ ही झूठ, सच की रत्ती भी नहीं”| जब सूक्ष्मवतन है ही नहीं, तो यह रहते कहाँ होंगे? इसके बारे में यहाँ विस्तार से समझाया हुआ है,
viewtopic.php?p=54610#p54610
viewtopic.php?p=54611#p54611
अभी खत्म नहीं हुई बात|
4. मुरलियों में तो बताया कि सूक्ष्मवतन है ही नहीं| और, कर्मातीत या सूक्ष्मवतन-वासी फरिश्ता अंत में बनेंगे और उसके बाद तुरतं लड़ाई, विनाश शुरू होंगे|
लेकिन, बीके लोग जो इतना झूठ बोलते कि उनका बाबा 1969 में ही कर्मातीत या फरिश्ता बन गया और सूक्ष्मवतन में बैठ गए|
लेकिन, जिस दिन उस बाबा ने शरीर छोड़ा था, उसी दिन की मुरली में भी बताया कि
"अभी यह दादा भी सम्पूर्ण नहीं बने हैं|...इसमें अभी टाइम है|.. .. यह अगर कर्मातीत बन जाय तो बाकि भी बन जायेंगे| लड़ाई भी लग जाएगी"|
18.1.69 रात्रि.पु.1 मध्य में,
..
सच तो सर पर चढ़के बोलेगा ही ना| "सत्यमेव जयते"!!
दीक्षित बाबा तो 1976 से कर्मातीत बन ही रहे है अभी भी| लेकिन, बन नहीं पाएं| बनेंगे भी नहीं, बिना सजा खाएं| उनको तो छोड़ दो|
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पिछले पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए,
"कर्मातीत अवस्था अंत में होगी, तभी लड़ाई भी लगेगी"| इस पर काफी पॉइंट्स देख लिए| एक और बात आती है हमेशा मुरलियों में, कर्मातीत अवस्था का कनेक्शन रिजल्ट से है| रिजल्ट तो अंत में ही निकलेगा| 1969 में थोड़ी कोई रिजल्ट निकला? रिजल्ट तो पूरा क्लास का एक साथ ही निकलेगा, अलग-अलग नहीं निकलता है|
यकीन नहीं हो रहा है तो इस ऑडियो में ही सुन लो, उस नकली ब्रह्मा की वाणी में, जो 25.12.67 की रात्रि क्लास पढ़ रहा है,
[इसमें 6.03 मिनट से 6.45 मिनट तक सुनो]
http://www.PBKs.info/Streaming/MP3/bma/1967/128.mp3
इसमें साफ़ बताया कि "अभूल तब बनेंगे जब कर्मातीत अवस्था होगी| और कर्मातीत अवस्था अंत में होगी, पिछड़ी में| जब इम्तेहान का रिजल्ट निकलता है तब होगी कर्मातीत अवस्था| अभी कदाचित नहीं बन सकते| कोई भी नहीं बन सकते| जिसमें बाबा आते है (ब्रह्मा), वह भी नहीं बन सकता"|
फिर भी बीके लोग और उनका नकली बाबा हमेशा यह झूठ क्यों बोलते फिरते कि वह कर्मातीत बन गया 1969 में?
अव्यक्त वाणी में भी खुद कहते रहते कि यह कर्मातीत बन गए 1969 में| शरम नाम की कोई चीज़ ही नहीं रही|
यह देखो, [21.1.69 की अव्यक्त वाणी]
http://www.bkdrluhar.com/00-Avyakt%20Mu ... -Part2.htm
“पहले तो वह अपने को निरहंकारी, नम्रचित कहते हुए कई बच्चों को यह सुनाते थे कि मैं भी अभी सम्पूर्ण नहीं बना हूँ । मैं भी अभी निरन्तर देही अभिमानी नहीं बना हूँ । लेकिन आपने अपने अनुभव के आधार से तीन चार मास के अन्दर ध्यान दिया होगा, सन्मुख मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होगा तो अनुभव किया होगा कि यह ब्रह्मा अब साकारी नहीं लेकिन अव्यक्त आकारी रूपधारी है । कुछ वर्ष पहले ब्रह्मा छोटी-छोटी बातें सुनते थे, समय देते थे लेकिन अब क्या देखा? इन छोटी-छोटी बातों को न सुनने का कारण क्या था कि यह समय निरन्तर याद में बीते । क्या आप बच्चों ने उनके तन द्वारा कभी नोट नहीं किया कि उनके मस्तक में सितारा चमकता हुआ नजर आता था? अव्यक्त स्थिति में जो होंगे उन्होंने अव्यक्त मूर्त को जाना, पहचाना । जो खुद नहीं अव्यक्त अवस्था में रहते थे उन्हों ने अमूल्य रतन को पूरी रीति नहीं पहचाना”।
इतना बड़ा झूठ!
इसके बाद तो खूब अज्ञान सुनना शुरू होगया, जिसकी कोई हद नहीं| "व्यक्त में होते हुए अव्यक्त बनने का अभ्यास", "साकारी से आकारी, आकारी से निराकारी, फिर निराकारी से साकारी", "अव्यक्त मिलन"....और न जानें क्या क्या शुरू होगया| असली ज्ञान तो गायब ही होगया|
कुछ और देखो,
अव्यक्त वाणी, 23-01-69,
“बच्चों की याद वैसे ही है लेकिन अन्तर यह है कि वह व्यक्त में अव्यक्त था और यह अव्यक्त ही है”।
अव्यक्त वाणी, 20-03-69,
“सम्पूर्ण स्थिति का चित्र साकार में देखा है? साकार तन जो था वह सम्पूर्ण कर्मातीत स्थिति नहीं थी। उसकी भेंट में बताओ। उन जैसा तो बनना ही है। गुणों को ही धारण करना है। तो उनके अन्तिम स्थिति और अपने वर्तमान स्थिति में कितना फर्क समझते हो? उसके लिए कितना समय चाहिए। साकार का सबूत तो इन आँखों से देखा। उनके हर गुण हर कर्म को अपने कर्म और वाणी से भेंट करो तो मालूम पड़ जायेगा”।
"कर्मातीत अवस्था अंत में होगी, तभी लड़ाई भी लगेगी"| इस पर काफी पॉइंट्स देख लिए| एक और बात आती है हमेशा मुरलियों में, कर्मातीत अवस्था का कनेक्शन रिजल्ट से है| रिजल्ट तो अंत में ही निकलेगा| 1969 में थोड़ी कोई रिजल्ट निकला? रिजल्ट तो पूरा क्लास का एक साथ ही निकलेगा, अलग-अलग नहीं निकलता है|
यकीन नहीं हो रहा है तो इस ऑडियो में ही सुन लो, उस नकली ब्रह्मा की वाणी में, जो 25.12.67 की रात्रि क्लास पढ़ रहा है,
[इसमें 6.03 मिनट से 6.45 मिनट तक सुनो]
http://www.PBKs.info/Streaming/MP3/bma/1967/128.mp3
इसमें साफ़ बताया कि "अभूल तब बनेंगे जब कर्मातीत अवस्था होगी| और कर्मातीत अवस्था अंत में होगी, पिछड़ी में| जब इम्तेहान का रिजल्ट निकलता है तब होगी कर्मातीत अवस्था| अभी कदाचित नहीं बन सकते| कोई भी नहीं बन सकते| जिसमें बाबा आते है (ब्रह्मा), वह भी नहीं बन सकता"|
फिर भी बीके लोग और उनका नकली बाबा हमेशा यह झूठ क्यों बोलते फिरते कि वह कर्मातीत बन गया 1969 में?
अव्यक्त वाणी में भी खुद कहते रहते कि यह कर्मातीत बन गए 1969 में| शरम नाम की कोई चीज़ ही नहीं रही|
यह देखो, [21.1.69 की अव्यक्त वाणी]
http://www.bkdrluhar.com/00-Avyakt%20Mu ... -Part2.htm
“पहले तो वह अपने को निरहंकारी, नम्रचित कहते हुए कई बच्चों को यह सुनाते थे कि मैं भी अभी सम्पूर्ण नहीं बना हूँ । मैं भी अभी निरन्तर देही अभिमानी नहीं बना हूँ । लेकिन आपने अपने अनुभव के आधार से तीन चार मास के अन्दर ध्यान दिया होगा, सन्मुख मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होगा तो अनुभव किया होगा कि यह ब्रह्मा अब साकारी नहीं लेकिन अव्यक्त आकारी रूपधारी है । कुछ वर्ष पहले ब्रह्मा छोटी-छोटी बातें सुनते थे, समय देते थे लेकिन अब क्या देखा? इन छोटी-छोटी बातों को न सुनने का कारण क्या था कि यह समय निरन्तर याद में बीते । क्या आप बच्चों ने उनके तन द्वारा कभी नोट नहीं किया कि उनके मस्तक में सितारा चमकता हुआ नजर आता था? अव्यक्त स्थिति में जो होंगे उन्होंने अव्यक्त मूर्त को जाना, पहचाना । जो खुद नहीं अव्यक्त अवस्था में रहते थे उन्हों ने अमूल्य रतन को पूरी रीति नहीं पहचाना”।
इतना बड़ा झूठ!
इसके बाद तो खूब अज्ञान सुनना शुरू होगया, जिसकी कोई हद नहीं| "व्यक्त में होते हुए अव्यक्त बनने का अभ्यास", "साकारी से आकारी, आकारी से निराकारी, फिर निराकारी से साकारी", "अव्यक्त मिलन"....और न जानें क्या क्या शुरू होगया| असली ज्ञान तो गायब ही होगया|
कुछ और देखो,
अव्यक्त वाणी, 23-01-69,
“बच्चों की याद वैसे ही है लेकिन अन्तर यह है कि वह व्यक्त में अव्यक्त था और यह अव्यक्त ही है”।
अव्यक्त वाणी, 20-03-69,
“सम्पूर्ण स्थिति का चित्र साकार में देखा है? साकार तन जो था वह सम्पूर्ण कर्मातीत स्थिति नहीं थी। उसकी भेंट में बताओ। उन जैसा तो बनना ही है। गुणों को ही धारण करना है। तो उनके अन्तिम स्थिति और अपने वर्तमान स्थिति में कितना फर्क समझते हो? उसके लिए कितना समय चाहिए। साकार का सबूत तो इन आँखों से देखा। उनके हर गुण हर कर्म को अपने कर्म और वाणी से भेंट करो तो मालूम पड़ जायेगा”।
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Re: Interesting Murli points - to understand Knowledge in another perspective
पिछले पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए,
इतना अज्ञान सुनाया अव्यक्त वाणियों में कि जिसकी कोई हद नहीं| बाबा दीक्षित के भी गुरु है यह, बेहद की बातें सुनाने में| होली की बात हो या कुछ भी हो| जैसे यह देखो, गोवर्धन पहाड़ का बेहद का अर्थ सुना रहे हैं,
अव्यक्त वाणी, 18-05-69
“....यादगार रूप में अन्तिम चित्र कौन सा दिखाया हुआ है? पहाड़ को अंगुली देने का। अंगुली, यह शक्ति की देनी है। इससे ही कलियुगी पहाड़ खत्म होगा......”
ड्रिल के बारे में तो पूछो ही मत| ज्ञान तो गया ही गया, याद का भी सत्यानाश कर दिया अव्यक्त वाणियों में|
शिवबाबा ने ओरिजिनल मुरलियों में, ड्रिल करने का मतलब "अशरीरी भव" या "मनमनाभव", "मुझे याद करो", "अपने को अशरीरी समझो", बस इतना ही बताया| वह भी चलते फिरते करना है| जैसे इसमें,
https://bkarticles.blog/2018/05/31/1-ju ... more-17041
[आदि में]
“शिवबाबा कहते हैं मैं ड्रिल टीचर हूँ ना। कहते हैं अशरीरी भव। बच्चे, स्वधर्म में टिक जाओ। मनमनाभव, मामेकम् याद करो। यह तो जानते हो अब धर्म की ग्लानि है।..... यह है नम्बरवन ड्रिल – मनमनाभव, अशरीरी भव। तुम सब ब्राह्मण उनको याद करेंगे,......”
बीके लोग तो VR लगाके भी अभ्यास करते है| इसके लिए अलग से वीडियो बनाये हुए हैं| जैसे यह,
https://www.youtube.com/watch?v=bMHCXFMOoJw
असली ब्रह्मा तो हमेशा शिवबाबा की और बच्चों की महिमा करता था, खुद की कमियां बताता, कभी खुद की तारीफ़ नहीं करता था| उलटा, शिवबाबा उसकी तारीफ़ करते थे हमेशा, मम्मा की भी करते थे|
लेकिन नकली ब्रह्मा, हमेशा अव्यक्त वाणी में खुद की तारीफ़ करता रहता है| या फिर ब्रह्मा की, कृष्ण की तारीफ़ करेंगे| खुद को ही ब्रह्मा समझते है ना| ऑडियो कैसेट में बच्चों के प्रति घृणा व्यक्त करते हुए नज़र आएंगे| सब उलटा| यह कैसा ब्रह्मा?
बीके में तो सब मुरलियों से ज्यादा अव्यक्त वाणी पसंद करते हैं| आप भी पढ़ते रहो अव्यक्त वाणियां और करते रहो अपना सत्यानाश|
जिसको यह सब राज समझ में आ जाए, उसको कोई रोक नहीं सकता| वह खूब उड़ेगा पुरुषार्थ में| हाँ, इसके बाद भी काफी कुछ करना है, वैसे| इतना भारी मंज़िल है, तो इम्तेहान कोई काम थोड़े ही होगा?
[सिर्फ पीबीकेज के लिए]
बाबा दीक्षित तो झूठ बोलने में, नाटक करने में सबसे आगे है| यह तो सबको पता है| कर्मातीत के लिए कुछ भी बोलते चले आ रहे है| जब 2018 में भी नहीं बना, तो फिर एक दिन किसी पर इतना ग़ुस्सा आया दीक्षित बाबा को कि पूछो मत| उस दिन, पहले ही क्लास चला चुके थे, जिसमें पहले ही कुछ भला -बुरा बोल दिया था| लेकिन ग़ुस्सा इतना था कि उनका पेट नहीं भरा, शाम को अचानक से फिर एक, 4-5 मिनट का सन्देश भेजा, ख़ास कर सभी अष्टदेवों को चैलेंज करते हुए, वार्निंग देते हुए| इसमें, यह भी बताया, ""मैं तो “जनवरी 2018” में ही कर्मातीत बन गया, अब तुम (बाकी 7 अष्टदेव) भी पास लेके मेरे पास आजाओ एक साल के अंदर""| देखो यहाँ,
https://www.youtube.com/watch?v=qxyZPrr ... T&index=17
अब जब 25.12.67 रात्रि क्लास का क्लैरिफिकेशन में फिर कहते कि कर्मातीत अभी बनेंगे, पास लेने का काम अभी आगे है| देखो यहाँ,
[4.52 मिनट से 7.40 मिनट तक]
https://www.youtube.com/watch?v=BGY-852XhhY
कुछ महीने पहले तो कुछ भी बोला कि "अष्टदेव अभी कोई बना ही नहीं"| फिर बोला, "यह 5 दिसंबर 2019 को बनेंगे कर्मातीत”|
इतना अज्ञान सुनाया अव्यक्त वाणियों में कि जिसकी कोई हद नहीं| बाबा दीक्षित के भी गुरु है यह, बेहद की बातें सुनाने में| होली की बात हो या कुछ भी हो| जैसे यह देखो, गोवर्धन पहाड़ का बेहद का अर्थ सुना रहे हैं,
अव्यक्त वाणी, 18-05-69
“....यादगार रूप में अन्तिम चित्र कौन सा दिखाया हुआ है? पहाड़ को अंगुली देने का। अंगुली, यह शक्ति की देनी है। इससे ही कलियुगी पहाड़ खत्म होगा......”
ड्रिल के बारे में तो पूछो ही मत| ज्ञान तो गया ही गया, याद का भी सत्यानाश कर दिया अव्यक्त वाणियों में|
शिवबाबा ने ओरिजिनल मुरलियों में, ड्रिल करने का मतलब "अशरीरी भव" या "मनमनाभव", "मुझे याद करो", "अपने को अशरीरी समझो", बस इतना ही बताया| वह भी चलते फिरते करना है| जैसे इसमें,
https://bkarticles.blog/2018/05/31/1-ju ... more-17041
[आदि में]
“शिवबाबा कहते हैं मैं ड्रिल टीचर हूँ ना। कहते हैं अशरीरी भव। बच्चे, स्वधर्म में टिक जाओ। मनमनाभव, मामेकम् याद करो। यह तो जानते हो अब धर्म की ग्लानि है।..... यह है नम्बरवन ड्रिल – मनमनाभव, अशरीरी भव। तुम सब ब्राह्मण उनको याद करेंगे,......”
बीके लोग तो VR लगाके भी अभ्यास करते है| इसके लिए अलग से वीडियो बनाये हुए हैं| जैसे यह,
https://www.youtube.com/watch?v=bMHCXFMOoJw
असली ब्रह्मा तो हमेशा शिवबाबा की और बच्चों की महिमा करता था, खुद की कमियां बताता, कभी खुद की तारीफ़ नहीं करता था| उलटा, शिवबाबा उसकी तारीफ़ करते थे हमेशा, मम्मा की भी करते थे|
लेकिन नकली ब्रह्मा, हमेशा अव्यक्त वाणी में खुद की तारीफ़ करता रहता है| या फिर ब्रह्मा की, कृष्ण की तारीफ़ करेंगे| खुद को ही ब्रह्मा समझते है ना| ऑडियो कैसेट में बच्चों के प्रति घृणा व्यक्त करते हुए नज़र आएंगे| सब उलटा| यह कैसा ब्रह्मा?
बीके में तो सब मुरलियों से ज्यादा अव्यक्त वाणी पसंद करते हैं| आप भी पढ़ते रहो अव्यक्त वाणियां और करते रहो अपना सत्यानाश|
जिसको यह सब राज समझ में आ जाए, उसको कोई रोक नहीं सकता| वह खूब उड़ेगा पुरुषार्थ में| हाँ, इसके बाद भी काफी कुछ करना है, वैसे| इतना भारी मंज़िल है, तो इम्तेहान कोई काम थोड़े ही होगा?
[सिर्फ पीबीकेज के लिए]
बाबा दीक्षित तो झूठ बोलने में, नाटक करने में सबसे आगे है| यह तो सबको पता है| कर्मातीत के लिए कुछ भी बोलते चले आ रहे है| जब 2018 में भी नहीं बना, तो फिर एक दिन किसी पर इतना ग़ुस्सा आया दीक्षित बाबा को कि पूछो मत| उस दिन, पहले ही क्लास चला चुके थे, जिसमें पहले ही कुछ भला -बुरा बोल दिया था| लेकिन ग़ुस्सा इतना था कि उनका पेट नहीं भरा, शाम को अचानक से फिर एक, 4-5 मिनट का सन्देश भेजा, ख़ास कर सभी अष्टदेवों को चैलेंज करते हुए, वार्निंग देते हुए| इसमें, यह भी बताया, ""मैं तो “जनवरी 2018” में ही कर्मातीत बन गया, अब तुम (बाकी 7 अष्टदेव) भी पास लेके मेरे पास आजाओ एक साल के अंदर""| देखो यहाँ,
https://www.youtube.com/watch?v=qxyZPrr ... T&index=17
अब जब 25.12.67 रात्रि क्लास का क्लैरिफिकेशन में फिर कहते कि कर्मातीत अभी बनेंगे, पास लेने का काम अभी आगे है| देखो यहाँ,
[4.52 मिनट से 7.40 मिनट तक]
https://www.youtube.com/watch?v=BGY-852XhhY
कुछ महीने पहले तो कुछ भी बोला कि "अष्टदेव अभी कोई बना ही नहीं"| फिर बोला, "यह 5 दिसंबर 2019 को बनेंगे कर्मातीत”|
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Re: Interesting Murli points - to understand Knowledge in another perspective
पिछले पोस्ट को आगे बढ़ाते हुए,
इतना ही नहीं, कल आने वाली बीके की मुरली में यह फिर से बताया,
25.12.2019 [अंत में]-
"अब इस पुरानी दुनिया का विनाश तो होना ही है बाकी थोड़ा समय है, यह लड़ाई अन्तिम लड़ाई है। यह लड़ाई शुरू होगी तो रूक नहीं सकती। यह लड़ाई शुरू ही तब होगी जब तुम कर्मातीत अवस्था को पायेंगे और स्वर्ग में जाने के लायक बन जायेंगे।
https://www.bkmurlis.net/2019/12/brahma ... ember.html
फिर 1969 में वह कैसे कर्मातीत बन गया?
यह तो नकली ब्रह्मा था| असली दादा लेखराज ब्रह्मा और असली ॐ राधे मम्मा भी अभी तक नहीं बने होंगे| नहीं तो विनाश शुरू होता, अंतिम लड़ाई लग जाती|
इतना ही नहीं, कल आने वाली बीके की मुरली में यह फिर से बताया,
25.12.2019 [अंत में]-
"अब इस पुरानी दुनिया का विनाश तो होना ही है बाकी थोड़ा समय है, यह लड़ाई अन्तिम लड़ाई है। यह लड़ाई शुरू होगी तो रूक नहीं सकती। यह लड़ाई शुरू ही तब होगी जब तुम कर्मातीत अवस्था को पायेंगे और स्वर्ग में जाने के लायक बन जायेंगे।
https://www.bkmurlis.net/2019/12/brahma ... ember.html
फिर 1969 में वह कैसे कर्मातीत बन गया?
यह तो नकली ब्रह्मा था| असली दादा लेखराज ब्रह्मा और असली ॐ राधे मम्मा भी अभी तक नहीं बने होंगे| नहीं तो विनाश शुरू होता, अंतिम लड़ाई लग जाती|
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